माता रानी के आगे करें पूजा, जानिए तिथि और उपयोगी टिप्स”
नवपत्रिका पूजा 2023 Date: हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है, माता रानी के नौ रूपों की पूरे मन और उत्साह के साथ भक्त नौ दिन तक पूजा करते हैं। वैसे तो नवरात्रि में माता रानी की विशेष आराधना की जाती है लेकिन नवरात्रि के दिनों में ही एक पूजा और की जाती है जिसका नाम नवपत्रिका पूजा है। इस पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है। इस पूजा में नौ तरह की पत्तियों का उपयोग किया जाता है, जिनका एक गुच्छा बनाया जाता है जिसे नवगुच्छ के रूप में जाना जाता है। इसके जरिए माता दुर्गा का आह्वान करने की परंपरा है। नवपत्रिका पूजा कब की जाएगी और इसका महत्व व पूजा विधि क्या है, आइए इस बारे में जानते हैं।
पूजा की तिथि: Navpatrika Puja 2023 Date
इस बार नवपत्रिका पूजा अक्टूबर महीने की 21 तारीख को की जाएगी। इस दिन महासप्तमी तिथि पड़ रही है। विधि विधान से नवपत्रिका की पूजा करके भक्त माता रानी को प्रसन्न करते हैं और सुख शांति का आशीर्वाद पाते हैं। नवपत्रिका की पूजा करने से घर परिवार में बरकत होती है।
पूजा विधि: Navpatrika Puja 2023 Vidhi
नवपत्रिका पूजा वाले दिन माता रानी के भक्त सूर्योदय से पहले जागते हैं और स्नान ध्यान करने के बाद माता रानी की प्रतिमा को पूरे विधि विधान से पवित्र नहीं जैसे कि गंगा या फिर यमुना में स्नान करवाते हैं। आसपास नदी नहीं है तो घर में ही पानी में गंगाजल को मिलाकर मातारानी की प्रतिमा को स्नान कराएं। इसके बाद पत्तियों या पौधों को पीले रंग के धागे बंधे और फिर इसे सफेद अपराजिता की बेल के साथ बांध दें। केला और अनार की पत्ती, हल्दी, अशोक, धान, बिल्वा, मनका के अलावा जौ की पत्तियों को इस गुच्छे में रखें।
नवपत्रिका पूजा के पत्तों से जुड़ी मान्यता: Navpatrika Puja 2023 Importance
नवपत्रिका पूजा में अलग-अलग नौ प्रकार की पत्तियां होती हैं, जिनमें से एक केले का पत्ता भी होता है, जिसे लेकर मान्यता है कि पत्ते में ब्राह्मणी रहती हैं। वहीं मां काली कच्वी के पत्ते का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसी तरह हल्दी का पत्ता मां दुर्गा को और जौ कार्तिकी, बेल पत्र महादेव को और अनार के पत्ते रक्तदंतिका को और अशोक के पत्ते शोकराहिता को अर्पित हैं। मां लक्ष्मी का प्रतिनिधत्व धान करता है।
नवपत्रिका पूजा 2023: नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि हिन्दू धर्म में माता दुर्गा की आराधना का महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसका आयोजन साल के चैत्र और अश्विन मास में होता है। इन नौ दिनों में भक्त नौ रूपों में माता दुर्गा की पूजा करते हैं, जिन्हें नौ देवियों का रूप माना जाता है। नवरात्रि का आयोजन विभिन्न प्रांतों में भिन्न-भिन्न तरीकों से किया जाता है, और इसके दौरान धर्मिक और पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है।
नवरात्रि के पूजा महोत्सव की शुरुआत प्रतिपदा तिथि से होती है, जिसे घटस्थापना नामक आरंभ कार्यक्रम के साथ मनाया जाता है। इसके बाद दुर्गा सप्तमी, दुर्गा अष्टमी, दुर्गा नवमी, और विजया दशमी के दिन भक्त भगवान दुर्गा की पूजा करते हैं। इन दिनों में माता दुर्गा का आवाहन करने के लिए विशेष पूजा विधान का पालन किया जाता है, जिसमें नवपत्रिका पूजा एक महत्वपूर्ण भाग है।
नवपत्रिका पूजा का महत्व
नवपत्रिका पूजा हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इसके माध्यम से भक्त अपनी भक्ति और पूजा के माध्यम से माता रानी की कृपा प्राप्त करते हैं। नवपत्रिका पूजा के दिन भक्त नौ प्रकार की पत्तियों को एक समूह में जमा करके पूजा करते हैं, जो नौ देवियों के प्रतिनिधित्व में होती हैं। इन पत्तियों का पूजन करने से भक्त अपने घर में सुख, शांति, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
नवपत्रिका पूजा के अनुसार, नौ प्रकार की पत्तियां हैं जो माता दुर्गा की आराधना के लिए उपयोग होती हैं। इन पत्तियों का पूजन अक्टूबर महीने के अक्टूबर महीने की 21 तारीख को किया जाता है, जो महासप्तमी तिथि होती है। इस दिन भक्त नौ दिनों तक उपवास करके नौ प्रकार की पत्तियों का पूजन करते हैं, जिन्हें नवगुच्छ कहा जाता है।
नवपत्रिका पूजा के पत्तों का महत्व
नवपत्रिका पूजा में प्रत्येक पत्ता एक विशेष देवी का प्रतिनिधित्व करता है। यह पत्तियां काली, कच्वी, केला, कर्तिकी, बेल पत्र, अपराजिता, हल्दी, अशोक, धान, बिल्वा, और मनका की होती हैं। इन पत्तियों का पूजन करने से भक्त विभिन्न देवियों की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में समृद्धि और सुख का आशीर्वाद पाते हैं।
नवपत्रिका पूजा की पूरी विधि
नवपत्रिका पूजा की विधि में भक्त नौ दिन तक उपवास रखते हैं और पूजा के लिए नौ प्रकार की पत्तियों का एक गुच्छा तैयार करते हैं। इस गुच्छे को नवगुच्छ के नाम से भी जाना जाता है।
पत्तियों को सफेद अपराजिता की बेल के साथ बांध दें और उन्हें एक जगह एकत्र रखें। फिर इस गुच्छे को माता दुर्गा की प्रतिमा के सामने रखें और पूजा करें।
नवपत्रिका पूजा का आयोजन
नवपत्रिका पूजा का आयोजन ध्यानपूर्वक और आदर्श तरीके से किया जाता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला उपवास होता है, जिसमें भक्त व्रत और ध्यान के साथ माता दुर्गा की पूजा करते हैं। नवपत्रिका पूजा के दौरान भक्त नौ प्रकार की पत्तियों का पूजन करते हैं, जिनमें से प्रत्येक पत्ता एक विशेष देवी का प्रतिनिधित्व करता है।
नवपत्रिका पूजा के महत्वपूर्ण तारीख
नवपत्रिका पूजा 2023 की महत्वपूर्ण तारीख अक्टूबर महीने की 21 तारीख है, जो महासप्तमी तिथि पड़ रही है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और नौ प्रकार की पत्तियों का पूजन करते हैं, जिन्हें नवगुच्छ के रूप में जाना जाता है।
नवपत्रिका पूजा के महत्व
नवपत्रिका पूजा में प्रत्येक पत्ता एक विशेष देवी का प्रतिनिधित्व करता है, और इसके माध्यम से भक्त अपनी भक्ति और पूजा के माध्यम से माता रानी की कृपा प्राप्त करते हैं। नवपत्रिका पूजा के दिन नौ प्रकार की पत्तियों का उपयोग किया जाता है, जो नवगुच्छ के रूप में जाना जाता है।
नवपत्रिका पूजा की महत्वपूर्ण तारीख
नवपत्रिका पूजा 2023 की महत्वपूर्ण तारीख अक्टूबर महीने की 21 तारीख है, जो महासप्तमी तिथि पड़ रही है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और नौ प्रकार की पत्तियों का पूजन करते हैं, जिन्हें नवगुच्छ के रूप में जाना जाता है।