“काला पत्थर: अमिताभ बच्चन की ये कहानी आपको रुला देगी!”
अमिताभ बच्चन का उदयन
अमिताभ बच्चन, जिन्होंने अपने संघर्षों और प्रतिस्पर्धा से भरपूर एक शानदार करियर की शुरुआत की, ने ‘दीवार’, ‘कभी-कभी’ और ‘त्रिशूल’ जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। 1979 में उनकी ऐसी ही फिल्म ‘काला पत्थर’ थी जिसकी उतनी बात नहीं होती लेकिन यह अमिताभ बच्चन की बेहतरीन फिल्मों में से एक है।
फिल्म का परिचय
‘काला पत्थर’ एक दर्दनाक घटना पर आधारित है, जिसमें कोयले की खदान में काम करने वाले मजदूरों की कहानी दिखाई गई है। इस दुखद घटना में सैकड़ों मजदूरों की जानें जा चुकी थी।
घातक घटना का विवरण
25 दिसंबर 1975 को झारखंड के धनबाद स्थित चासनाला कोयला खदान में हुई इस घटना में कोयले की खदान से सटा हुआ तालाब था। कोयले की खुदाई करते-करते तालाब का पानी खदान में भर गया और मजदूरों के लिए वहां से निकलना मुश्किल हो गया। इस घटना में 375 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी, और बहुत से लोगों के शव भी नहीं मिले थे।
न्याय की लड़ाई
इस दुखद घटना के बाद, न्याय की लड़ाई शुरू हुई, जिसमें न्याय पाने में 37 साल लग गए। 2012 में जब मामले में फैसला आया तो उस समय दोषियों को एक साल की कैद और 5000 रुपये की सजा दी गई, जो कोयले की खदान में काम करते वक्त मजदूर पहना करते थे। फिर उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
उपसंग्रहण
‘काला पत्थर’ एक ऐसी फिल्म है जो न केवल आपको मनोरंजन प्रदान करती है, बल्कि आपको एक दर्दनाक घटना के इतिहास के साथ जोड़ती है। अमिताभ बच्चन की महान अभिनय प्रदर्शन के साथ, इस फिल्म का सन्देश भी अत्यधिक गहराई से पहुंचता है।