PM Modi: भारत का शानदार इंजनीयरिंग करना, समुद्री सेतु का अद्वितीय उदाहरण
भारत में तकनीकी अग्रगामी परियोजनाओं की दुनिया में अपनी जगह बना रहा है और इसमें से एक महत्वपूर्ण परियोजना है, “PM Modi द्वारा उद्घाटित होने वाला समुद्री पुल”. इस पुल का नाम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है, जो खुद भी एक कुशल नेता और योजना समर्थक थे।
अनुसंधान और निर्माण में तेज़ी, कोविड-19 के बावजूद
2022 तक पूरा होने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कोविड-19 के कारण इसमें थोड़ी देरी हो गई। तब भी, इस पुल को देश का सबसे तेज़ी से बनने वाला समुद्री पुल माना जा रहा है। मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक पर प्रतिदिन 70,000 से अधिक वाहनों की आवृत्ति होने का आकलन किया जा रहा है, जो इस पुल के महत्व को और बढ़ाता है।
योजना से निकलकर वास्तविकता में
इस पुल की नींव बनाई गई थी 70 के दशक में, लेकिन सिर्फ योजना की फाइलें ही एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर धूल खाती रहीं। 2017 में एग्रीमेंट साइन हुआ और 2017 के आखिरी में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके भूमिपूजन का आयोजन किया। यह उदाहरण है कि कैसे नेतृत्व और निर्णय क्षमता से भरा गया है इस प्रोजेक्ट का पूरा विकास।
वायुमंडल सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण
इस समुद्री सेतु की बनावट ने ध्यान में रखा है कि यह वायुमंडल सुरक्षा को कैसे बनाए रखेगा और प्रदूषण को कैसे नियंत्रित करेगा। ब्रिज के किनारे साउंड वैरियर लगाए गए हैं ताकि समुद्री जीवों को किसी भी नुकसान से बचाया जा सके।
पुल का महत्व और आर्थिक विकास
इस पुल का उद्दीपन महाराष्ट्र के दो बड़े शहरों, मुंबई और पुणे, को और भी मजबूती से जोड़ेगा। इसका निर्माण 20 हजार करोड़ रुपये में हुआ है और इससे जुड़े क्षेत्रों में आर्थिक विकास की संभावना है। इस समुद्री पुल का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे, मुंबई गोवा हाईवे और नवी मुंबई के प्रस्तावित इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए।
उद्घाटन के बाद टोल एवं लाभ
इस अद्वितीय समुद्री पुल पर टोल का मूल्य 250 रुपये होगा, जो यात्रीओं से वसूला जाएगा। सरकार का मानना है कि इससे लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा, साथ ही ईंधन की खपत कम होने से पर्यावरण को भी फायदा होगा। यह पुल ब्रिज से कोई भी (बीएआरसी) भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की तस्वीर या वीडियो नहीं लेगा, इससे व्यू वैरियर लगाया गया है, जिससे ब्रिज पर समुद्री जीवों को किसी भी नुकसान से बचाया जा सके।
समापन: इंजनीयरिंग का अद्वितीय कार्य
इस पुल के साथ, भारत ने विश्व को दिखाया है कि यह कैसे तकनीकी अग्रगामी और विकासशील देशों की पंथनिर्माण में अग्रणी हो रहा है। यह समुद्री सेतु न केवल एक इंजनीयरिंग महाकाव्य है, बल्कि यह एक सकारात्मक परिवर्तन की ओर कदम बढ़ा रहा है, जो भारत को एक नए उच्चतम स्तर पर ले जाने में सहायक होगा।