American दबाव के बाद भी Russian हथियारों से मुंह नहीं मोड़ सकता Bhaarat, विशेषज्ञ बोले- सामने है ये बड़ा खतरा
सबसे बड़ा हथियार सप्लायर – Bhaarat की Russian से संबंध
Russian , Bhaarat के लिए अग्रणी हथियार सप्लायर रहा है लेकिन बीते दो सालों में यूक्रेन में चल रही लड़ाई के कारण रूस की युद्ध सामग्री की आपूर्ति में कमी हो गई है। इससे भारत ने रूस के साथ कुछ हद तक दूरी बनाई है। यह आपूर्ति की कमी के बावजूद, भारत रूस के साथ सौजन्यपूर्ण रिश्ते को बनाए रखने में सक्षम रहना चाहिए क्योंकि इससे भारत चीन के करीब धकेलने की संभावना है जो भारत के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है।
Bhaarat की रूस पर निर्भरता और उसके उद्दीपन
विश्लेषकों का मानना है कि हालांकि भारत अपनी हथियारों की निर्भरता में कमी कर रहा है, लेकिन रूस से मजबूत संबंध बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं। चीन के साथ संबंधों में मुश्किल का सामना करने वाले भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह रूस के साथ समर्थन बनाए रखे। भारत को चीन के प्रति अपनी सकारात्मक पहलुओं को मजबूत करने के लिए रूस के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की आवश्यकता है।
Bhaarat-रूस संबंध: चुनौतियों का सामना
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत धीरे-धीरे पश्चिम की ओर मुड़ रहा है जिसका कारण अमेरिका भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है। इसका उद्देश्य है चीन के साथ तनाव में रहने वाले भारत को रूस से अधिक आत्मनिर्भर बनाना। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, पिछले दो दशकों में रूस ने भारत को 60 अरब डॉलर से अधिक के हथियार दिए हैं, जो कुल आपूर्ति का 65 फीसदी है।
Russian के साथ सैन्य समझौता और उसकी चुनौतियाँ
नई दिल्ली थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के रूस विशेषज्ञ नंदन उन्नीकृष्णन के मुताबिक, रूस के साथ बड़े सैन्य समझौते की संभावना नहीं है। इसके बावजूद कुछ रूसी प्रस्तावों के बावजूद, भारतीय सरकारी स्रोतों ने भी इसे खारिज किया है। विशेषज्ञ और सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि रूस ने भारत से रक्षा संबंधों को बढ़ाने का प्रयास किया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना ध्यान पश्चिमी तकनीक के साथ घरेलू उत्पादन पर केंद्रित किया है। भारत को इस प्रयास के माध्यम से अपनी रक्षा क्षमता में सुधार करने की आवश्यकता है।
Bhaarat और American के बीच समर्थन
पिछले साल, भारत और अमेरिका ने एक साथ काम करने का निर्णय लिया है जिससे उनके लड़ाकू विमानों को बिजली प्रदान करने के लिए भारत में इंजन बनाने का एक समझौता हुआ। इससे भारत ने एक साथ काम करने का संकेत दिया है और इससे उसकी रक्षा क्षमता में मजबूती आएगी। भारत और अमेरिका के संबंधों को आगे बढ़ाने के साथ ही भारत ने चीन के साथ गतिरोध में समर्थ होने का प्रयास किया है।
Bhaarat की रणनीति – चीन के साथ संबंध और रूस के साथ सहयोग
Bhaarat को अपने हथियारों के सबसे बड़े सप्लायर और तेल के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक के साथ संबंधों को सही तरीके से संरचित रखने की आवश्यकता है। रूस के साथ व्यापार को सुरक्षित रखने से मॉस्को बीजिंग के करीब पहुंच जाएगा, जिससे भारत को चीन के बढ़ते दबाव से बचने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस के हथियारों का निर्यात काफी स्थिर हो गया है, लेकिन भारत को इस समय चीन के साथ संबंधों को सावधानीपूर्वक संरचित रखने की आवश्यकता है। भारत को चीन के साथ गतिरोध में सफल बनाने के लिए रूस के साथ समर्थन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।